भारतीय टेलीस्‍कोप ने मायावी मिडलवेट ब्लैक होल्‍स पर प्रकाश डाला

यह खोज इस बारे में हमारी समझ और बढ़ाती है कि ब्लैक होल, विशेषकर वे जिनका वजन 100 से 100,000 सूर्यों के बीच है, कैसे बढ़ते हैं और अपने परिवेश के साथ अंतःक्रिया करते हैं।
by: सुदाम पेंढारे


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न्यू दिल्ली (१७ एप्रिल) - (इमेज) 10 मार्च, 2022 को 1.3 मीटर डीएफओटी का उपयोग करके ली गई एनजीसी 4395 की वी-बैंड छवि, लाल घेरे से चिह्नित सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक (एजीएन) को दिखाती है, जिसमें तीन तुलनात्मक तारे सफेद रंग से हाइलाइट किए गए हैं। दृश्य क्षेत्र का माप 18′ × 18′ आर्कमिन है।

भारत के सबसे बड़े ऑप्टिकल टेलीस्कोप का उपयोग करके लगभग 4.3 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर एक धुंधली आकाशगंगा में स्थित इंटरमीडिया ब्लैक होल (आईएमबीएच) का पता लगाते हुए खगोलविदों ने पाया है कि गैस के बादल 545 किमी प्रति सेकंड के वेग फैलाव के साथ 125 प्रकाश मिनट (लगभग 2.25 बिलियन किलोमीटर) की दूरी पर ब्लैक होल की परिक्रमा करते हैं।

यह खोज इस बारे में हमारी समझ और बढ़ाती है कि ब्लैक होल, विशेषकर वे जिनका वजन 100 से 100,000 सूर्यों के बीच है, कैसे बढ़ते हैं और अपने परिवेश के साथ अंतःक्रिया करते हैं।

दशकों से खगोलविदों ने ब्रह्मांडीय ब्लैक होल परिवार में एक लापता कड़ी की खोज की हैं: मायावी इंटरमिडिएट-मास ब्‍लैक होल (आईएमबीएच)। छोटे तारकीय ब्लैक होल (जिनका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से कुछ दर्जन गुना अधिक है) और विशाल सुपरमैसिव ब्लैक होल (जिनका द्रव्यमान लाखों से लेकर अरबों सौर द्रव्यमान है) के बीच की खाई को पाटते हुए, आईएमबीएच मायावी बने हुए हैं।

माना जाता है कि आईएमबीएचएस ऐसे बीज हैं जो सुपरमैसिव ब्लैक होल में विकसित होते हैं। हालाँकि, उनकी मंद प्रकृति और छोटी आकाशगंगाओं में स्थिति के कारण उन्हें देखना बेहद कठिन होता हैं। अपने बड़े समकक्षों के विपरीत, वे तब तक चमकीले उत्सर्जन उत्पन्न नहीं करते हैं जब तक कि वे सक्रिय रूप से पदार्थ को अंदर नहीं खींच रहे होते हैं, जिससे उन्नत अवलोकन तकनीकें आवश्यक हो जाती हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एरीज) के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में एक टीम ने 3.6 मीटर देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप (डीओटी) का उपयोग करते हुए एनजीसी 4395 नामक एक धुंधली आकाशगंगा में आईएमबीएच के गुणों का सफलतापूर्वक पता लगाया है और मापा है।

शिवांगी पांडे के नेतृत्व में खगोलविदों की टीम ने एनजीसी 4395 का अध्ययन किया – एक कम-चमकदार सक्रिय आकाशगंगा जो अब तक देखे गए सबसे धुंधले सक्रिय रूप से फीडिंग ब्लैक होल्‍स में से एक है।

उन्होंने भारत में सबसे बड़े ऑप्टिकल टेलीस्कोप 3.6 मीटर डीओटी और इसके स्वदेशी रूप से विकसित स्पेक्ट्रोग्राफ और कैमरा एडीएफओएससी के साथ-साथ एरीज के देवस्थल वेधशाला में स्थित छोटे 1.3 मीटर देवस्थल फास्ट ऑप्टिकल टेलीस्कोप (डीएफओटी) का उपयोग किया।

चूंकि ब्लैक होल के आसपास के क्षेत्र का आकार एक परिष्कृत दूरबीन के साथ भी रिजॉल्‍व करना बहुत मुश्किल है, इसलिए टीम ने दोनों दूरबीनों का उपयोग करके दो रातों तक लगातार वस्तु की निगरानी की और स्पेक्ट्रोफोटोमेट्रिक प्रतिध्‍वनि मानचित्रण नामक एक विशेष तकनीक का उपयोग किया।

यह तकनीक ब्लैक होल की अभिवृद्धि डिस्क और आसपास के गैस बादलों (ब्रॉड-लाइन क्षेत्र) द्वारा उत्सर्जित प्रकाश के बीच की देरी को मापती है। इस देरी, या समय अंतराल ने क्षेत्र के आकार का खुलासा किया और ब्लैक होल के द्रव्यमान की गणना करने में मदद की।

गैस बादलों के रेसिंग करने के अलावा, उन्होंने यह भी पाया कि आईएमबीएच का वजन सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 22,000 गुना है, जो इसे सबसे सटीक रूप से माने गए मि‍डलवेट ब्लैक होल्‍स में से एक बनाता है। ब्लैक होल अपनी अधिकतम सैद्धांतिक दर का केवल 6 प्रतिशत पदार्थ का उपभोग करता है।

एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन कम-चमकदार सक्रिय आकाशगंगाओं में ब्लैक होल के लिए आकार-चमक संबंध को मान्य करता है, पिछले अध्ययनों की तुलना में अधिक सटीक ब्लैक होल द्रव्यमान अनुमान प्रदान करता है और भविष्य के अनुसंधान के लिए एक अधिक सटीक बेंचमार्क पेश करता है।

इस अध्ययन में शामिल एरीज के वैज्ञानिक डॉ शुभेंदु रक्षित ने कहा "अधिक आईएमबीएच की खोज अभी खत्म नहीं हुई है। बड़े दूरबीन और उन्नत उपकरण इन ब्रह्मांडीय मिडलवेट्स को उजागर करने की कुंजी होगी।”

जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी आगे बढ़ेगी, भविष्य में बड़ी दूरबीनों और उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले उपकरणों के साथ भविष्‍य के अवलोकन आईएमबीएच और ब्रह्मांड को आकार देने में उनकी भूमिका के बारे में हमारी समझ को गहरा करेगी।

100 Å पर मोनोक्रोमैटिक निरंतरता चमक की तुलना में एचए बीएलआर का आकार पिछले अध्ययनों में संबंधों के साथ संरेखित है। 125 मिनट का वर्तमान अंतराल पहले के अनुमानों के विपरीत है, जो इस अध्ययन की सटीकता को रेखांकित करता है।