सीबीआई ने हैदराबाद स्थित एसबीआई शाखा के साथ की गई धोखाधड़ी के मामले में घोषित अपराधी को गिरफ्तार किया
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने श्री वी. चलपति राव, घोषित अपराधी (पीओ) को गिरफ्तार किया , जो बैंक धोखाधड़ी के एक मामले में फरार था एवं पकड़े जाने से बचने के लिए अपनी पहचान व स्थान बदलता रहता था।by: सुदाम पेंढारे
हैदराबाद (2024-08-05) - केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने श्री वी. चलपति राव, घोषित अपराधी (पीओ) को गिरफ्तार किया , जो बैंक धोखाधड़ी के एक मामले में फरार था एवं पकड़े जाने से बचने के लिए अपनी पहचान व स्थान बदलता रहता था।
सीबीआई ने उक्त आरोपी, तत्कालीन कंप्यूटर ऑपरेटर, एसबीआई चंदूलाल बिरादरी शाखा, हैदराबाद के विरुद्ध दिनांक 01.05.2002 को मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप है कि आरोपी ने अपने परिवार के सदस्यों एवं करीबी सहयोगियों के नाम पर बनाए गए इलेक्ट्रॉनिक दुकानों के फर्जी कोटेशन व फर्जी वेतन प्रमाण पत्र के आधार पर एसबीआई के साथ 50 लाख रु. की धोखाधड़ी की और इस कृत्य से प्राप्त आय का गबन किया। जांच पूरी होने पर, सीबीआई ने दिनांक 31.12.2024 को सीसी संख्या 8 व 9/2006 के तहत दो आरोपपत्र दायर किएl
उक्त आरोपी वर्ष 2004 से लापता है। उसकी पत्नी, जो उपरोक्त धोखाधड़ी मामले में भी आरोपी है, ने कमाटीपुरा पुलिस स्टेशन, हैदराबाद में अपराध संख्या 97/2004, दिनांक 10.07.2004 के तहत एक प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी। उसने घोषित अपराधी के कथित रूप से लापता होने के 07 वर्ष पूरे होने के बाद फरार आरोपी को मृत घोषित करने के लिए सिविल कोर्ट में एक याचिका भी दायर की थी। इस संबंध में, हैदराबाद की संबंधित सिविल अदालत ने एक आदेश/डिक्री भी जारी की।
चूंकि उक्त आरोपी फरार था, इसलिए उसके विरुद्ध मामला अलग कर दिया गया तथा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 व 83 के तहत कार्यवाही पूरी होने पर, उसे सीबीआई मामले में दिनांक 18.04.2013 को घोषित अपराधी (पीओ) घोषित किया गया।
जांच के दौरान, आरोपी की पत्नी ने घोषित अपराधी (पीओ) की संपत्ति जब्त करने के प्रयासों पर तेलंगाना उच्च न्यायालय से स्थगन प्राप्त किया। घोषित अपराधी ने लगातार स्थान, संपर्क नंबर, पहचान आदि बदलने सहित कई प्रयास किए। हालांकि, सीबीआई ने लगातार सुरागों का पीछा किया एवं अंततः उसे तमिलनाडु के एक गांव से पकड़ लिया।
सीबीआई द्वारा एकत्रित जानकारी के अनुसार, आरोपी, सलेम भाग गया था एवं वर्ष 2007 में अपना नाम बदलकर एम. विनीत कुमार नाम से एक महिला से शादी कर ली व आधार नंबर भी प्राप्त कर लिया। उसकी दूसरी पत्नी के माध्यम से, सीबीआई को जानकारी मिली कि घोषित अपराधी अपनी पहली पत्नी से हुए बेटे के संपर्क में था। हालांकि, वर्ष 2014 में वह बिना किसी सूचना के सलेम से निकल गया एवं भोपाल पहुंच गया, जहां उसने लोन रिकवरी एजेंट के तौर पर काम किया और फिर उत्तराखंड के रुद्रपुर में शिफ्ट हो गया, जहां उसने एक स्कूल में काम किया।
जब टीम रुद्रपुर में उसका पता लगाने पहुंची तो पता चला कि वह वर्ष 2016 में उक्त स्थान से भाग गया था। एम. विनीत कुमार के नाम से घोषित अपराधी की ईमेल आईडी एवं आधार कार्ड के विवरण की सहायता से सीबीआई ने जीमेल कानून प्रवर्तन विभाग(Gmail Law Enforcement Department) से संपर्क किया। इन विवरणों से पता चला कि घोषित अपराधी, औरंगाबाद के वेरुल गांव में एक आश्रम में शिफ्ट हो गया था। आगे यह भी पता चला कि घोषित अपराधी ने अपना नाम बदलकर स्वामी विधितात्मानंद तीर्थ रख लिया था एवं आधार कार्ड भी प्राप्त कर लिया था। हालांकि, दिसंबर, 2021 में उसने उक्त आश्रम छोड़ दिया, जहां उसने कथित तौर पर आश्रम को 70 लाख रु. (लगभग) की धोखाधड़ी की थी।
इसके पश्चात, घोषित अपराधी विधितात्मानंद तीर्थ के रूप में भरतपुर (राजस्थान) चले गए एवं 8 जुलाई, 2024 तक वहीं रहे। इसके बाद वे भरतपुर छोड़कर अपने एक शिष्य के पास रहने हेतु तिरुनेलवेली पहुंच गए।
इस अवधि के दौरान, घोषित अपराधी ने 8-10 से अधिक बार अपने नंबर बदले एवं कथित तौर पर 01 करोड़ रु. (लगभग) की धनराशि का गबन किया। यह भी पता चला कि घोषित अपराधी समुद्री मार्ग से श्रीलंका भागने की योजना बना रहा था।
घोषित अपराधी का पता लगाने के लिए सीबीआई द्वारा लगातार किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप दिनांक 04.08.2024 को नरसिंगनल्लूर गांव, तिरुनेलवेली (तमिलनाडु) से आरोपी को गिरफ्तार किया गया, जहां वह छिपा हुआ था। सीबीआई टीम के समन्वित एवं दृढ़ प्रयासों के परिणामस्वरूप घोषित अपराधी का पता लगाने एवं उसे पकड़ने में सफलता मिली, जो लगभग दो दशकों से कानून के शिकंजे से बचता हुआ फरार था। उसे दिनांक 04.08.2024 को हैदराबाद में सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश की माननीय अदालत के समक्ष पेश किया गया एवं उसे दिनांक 16.08.2024 तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया। मामले में अब विचारण प्रारंभ होगाl